भारत में पाक प्रायोजित कई आतंकवादी संगठन गुप्त रूप से काफी तेजी के साथ सक्रिय होकर देश में अराजकता पैदा करने में लगे हुए हैं। 10 अक्टूबर, सोमवार की शाम लाल किला के पास जो ब्लास्ट हुआ, भारत में अराजकता पैदा करने की श्रृंखला में एक कड़ी है। इस ब्लास्ट का निहितार्थ क्या है ? यह बात अब किसी से छुपी नहीं रह गई है। इसके बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्टियों के बयान अलग-अलग क्यों आ रहे हैं ? यह बेहद चिंता की बात है। ऐसे आतंकवादी संगठन दिल्ली ही नहीं अपितु संपूर्ण देश में सक्रिय हैं, जो देश में अराजकता पैदा कर अस्थिर करना चाहती हैं । ऐसी ताकतें भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहती हैं। विचारणीय यह है कि दिल्ली, देश की राजधानी है। दिल्ली में प्रधानमंत्री से लेकर पूरे कैबिनेट और भारत सरकार के प्रशासनिक विभागों के प्रमुख कार्यालय कार्यरत हैं। इसके बावजूद समय-समय पर दिल्ली में दिल को दहला देने वाले आतंकवादी ब्लास्ट होते चले आ रहे हैं । दिल्ली में भारत सरकार की गुप्तचर एजेंसियां काफी सक्रिय हैं। इसके बावजूद ऐसी ताकतें इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे देते हैं । इससे प्रतीत होता है कि ऐसी ताकतों का नेटवर्क कितना मजबूत है । अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो यह संपूर्ण भारत के लिए एक बड़ा खतरा ही साबित होने वाला है ।
आए दिन देश भर में कहीं न कहीं कुछ ऐसी वारदातें होती रहती हैं, जिसमें आतंकवादी संगठनों का नाम आता ही रहता है। सोमवार की सुबह में ही जम्मू कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस के संयुक्त कार्रवाई पर तीन आतंकी डॉक्टर पकड़े गए । जिनके पास से लगभग 2900 किलोग्राम विस्फोटक और हथियार गोला बारूद जप्त हुए हैं। इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पाकिस्तानी प्रायोजित आतंकवादी संगठन भारत में किस रूप से सक्रिय है ? यह आतंकवादी संगठन देश में अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। ध्यातव्य है कि 13 दिसंबर 2001 को भारत के संसद पर हमला करने वाले लशकर – ए – तैयबा और लश्कर – ए – मोहम्मद नामक संगठनों ने भारत को अस्थिर बनाने की दिशा में यह आतंकवादी कार्रवाई की थी। इस आतंकवादी कार्रवाइयों के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बुरी तरह पराजय होने के बावजूद पाकिस्तानी आतंकी अभी तक पूरी तरह कुचले नहीं गए हैं। ये आतंकवादी संगठन फिर से फन उठाना शुरू कर दिए हैं। ये आतंकवादी संगठन भारत में भूमिगत रहते हुए अपना नेटवर्क फैलते चले जा रहे हैं। उनके नेटवर्क पर एक बड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है । इस आतंकवादी नेटवर्क को भारत से पूरी तरह मिटा देने की जरूरत है। ये आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर भोले भाले भारतीयों को बरगलाकर अपने आतंकवादी ग्रुप में शामिल कर लेते हैं । यह संगठन समय-समय पर इन्हीं लोगों के माध्यम से ऐसी आतंकवादी कारवाइयां करवाते रहते हैं । दिल्ली ब्लास्ट भी संभवत : इसी दिशा की एक कड़ी है। ये संगठन भारत को तबाह और बर्बाद करना चाहते हैं। हम सबों को यह समझना होगा कि जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था। वहां के प्रधानमंत्री को शरण लेने के लिए भारत आना पड़ा था। उसके कुछ महीनो बाद ही नेपाल में तख्तापलट हुआ था। दोनों देशों के लोग सड़कों पर आ गए थे। सरकारी और निजी संपत्तियों का जबरदस्त नुकसान हुआ था। तब देश के ही विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी भारत में ऐसी करवाई होने का संकेत दिया था। विपक्षी पार्टी के नेताओं के ऐसे वक्तव्य से क्या प्रकट होता है ? अगर सत्ता उनके पास नहीं है, तो क्या देश में अराजक स्थिति पैदा कर दी जाए ? क्या ऐसा करने से वे सत्ता में वापस आ सकते हैं ? भारत की जनता, नेपाल और बांग्लादेश की जनता में बड़ा फर्क है । इस पर भी विपक्षी पार्टियों को विचार करने की जरूरत है। इसके साथ ही भारत सरकार को भी इन उठते सवालों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल में तख्तापलट होने का भारत से इसका क्या संबंध है ?
इन आतंकवादी कार्रवाइयों के पीछे पाक प्रायोजित आतंकवादियों के मंसूबे अब किसी से छुपे नहीं रह गए। हम सबों को यह जानना चाहिए कि 16 जून 2000 को रेड फोर्ट के निकट दो शक्तिशाली विस्फोट हुआ था, जिसमें दो लोगों की मृत्यु हो गई थी । इस शक्तिशाली बम विस्फोट में दर्जन भर र से अधिक लोग घायल हुए थे । 16 मार्च 2000 को सदर बाजार में विस्फोट हुआ था, जिसमें 7 लोग घायल हुए थे। 27 फरवरी 2000 को पहाड़गंज में विस्फोट हुआ था, जिसमें आठ लोग घायल हुए थे। 14 अप्रैल 2006 जामा मस्जिद प्रांगण में दो विस्फोट हुआ था, जिसमें 14 से अधिक लोग घायल हुए थे। 22 मई 2005 लिबर्टी एवं सत्यं सिनेमा हॉल में दो विस्फोट हुए, जिसमें एक जन की मृत्यु हो गई और लगभग 60 लोग घायल हुए थे। 29 अक्टूबर 2005 सरोजिनी नगर पहाड़गंज व गोविंदपुरी में तीन विस्फोट हुए, जिसमें लगभग 62 लोग मारे और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। 13 सितंबर 2008 को करोल बाग कनॉट प्लेस व ग्रेटर कैलाश का में पांच विस्फोट हुए, जिसमें कम 20 से 30 लोग मारे गए और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे। 27 सितंबर 2008 महारैली के फ्लावर मार्केट में विस्फोट हुआ, जिसमें तीन लोगों की मृत्यु हुई और 27 लोग घायल हो गए थे। 25 मई 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट पार्किंग में विस्फोट हुआ, जिसमें किसी की मृत्यु नहीं हुई। इन तमाम घटनाओं से हम सब आखिर कब सबक लेंगे ?
इन घटनाओं को अंजाम देने में पाक प्रायोजित आतंकवादी संगठन ही शामिल रह रहे हैं। इसका प्रमाण भी हम सबों को मिल चुका है । धीरे-धीरे ये संगठन देशभर में फैलते चले जा रहा हैं । ये संगठन किसी भी स्थिति में भारत की एकता और अखंडता लिए उचित नहीं है। भारत की एकता और अखंडता पर ये संगठन बराबर प्रहार करते चले आ रहे हैं। यह जानकर तब दुख होता है, जब ऐसी कार्रवाइयों पर देश का पक्ष और विपक्ष दोनों के राय अलग-अलग होते हैं । ऐसी आतंकवादी कार्रवाइयों पर देश के पक्ष और विपक्ष दोनों को एक जुट होकर विरोध करना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो रहा है । यह बेहद चिंता की बात है । देश की विपक्षी पार्टियां ऐसी आतंकवादी कार्रवाइयों पर सत्ता पर दोष मढ़ कर अपनी नैतिक जवाबदेही से बच निकल जाना चाहते हैं। ही विपक्षी पार्टियों का दायित्व बनता है कि ऐसी कायराना आतंकवादी घटनाओं पर संगठन आतंकवादी संगठन इसमें शामिल हैं, उन सबों का जमकर विरोध करना चाहिए न कि सिर्फ सत्ता पर दोष मढ़ नहीं निकल जाना चाहिए। यह किसी भी सूरत में उचित नहीं है ।
दिल्ली ब्लास्ट की घटना यह बताती है कि आतंकवादी गतिविधियां देश में बहुत तेजी के साथ फैलती चली जा रही है। उन सबों का नेटवर्क भी काफी मजबूत हो गया है। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास जो यह धमाका हुआ, यह पूरी तरह भीड़ भाड़ वाला स्थल है । उक्त स्थल के आसपास सीसीटीवी कैमरे काफी संख्या में लगे हुए हैं । पुलिस की भी चौकसी बनी रहती है । इस स्थल पर अगर आतंकवादी संगठन कार्रवाई कर निकल जा रहे हैं, तो यह हमारे सामने कई सवालों को भी छोड़कर जा रहे है। अगर इन उठते सवालों पर पूरी गंभीरता के साथ ध्यान नहीं दिया गया तो यह देश की एकता और अखंडता पर बड़ा सवालिया निशान लगा जाएगा। दिल्ली ब्लास्ट में लगभग दर्जन भर लोग मृत्यु को प्राप्त कर गए । उनका क्या कसूर था ? वे तो अपने-अपने कामों अथवा घूमने फिरने के लिए यहां पहुंचे थे । आज उन परिवारों पर क्या गुजरा होगा ? इस विषय पर भी पक्ष और विपक्ष दोनों को विचार करने की जरूरत है। उन बेकशूर लोगों की मृत्यु पर कदापि सत्ता की राजनीति नहीं होनी चाहिए। दिल्ली ब्लास्ट में काफी संख्या में लोग घायल हो हुए हैं, जिन सबों का ईलाज निकट के अस्पतालों में रहा है । उनमें से कई लोगों की हालत चिंताजनक बनी हुई है। इसलिए देश के सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं को समग्रता के साथ विचार करने की जरूरत है। ऐसी कार्रवाइयों को पीछे किसी न किसी रूप से पाक प्रायोजित आतंकवादी संगठनों का ही हाथ रहता है । इसलिए देश में फैल रहे आतंकवादी नेटवर्क को जड़ से समाप्त करने की जरूरत है। अन्यथा देश को इस की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी ।
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