12/11/25
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मंदिर पुजारी बनने के लिए जाति या वंश जरूरी नहीं : केरल हाईकोर्ट

कोच्चिः केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि मंदिर के संथी यानी कि पुजारी की नियुक्ति के लिए किसी खास जाति या वंश से होना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जाति या वंश के आधार पर पुजारी चुनना संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा नहीं है और इसे कोई संवैधानिक संरक्षण नहीं मिल सकता। जस्टिस राजा विजयराघवन वी. और जस्टिस केवी जयकुमार की डिवीजन बेंच ने यह फैसला अखिल केरल तंत्री समाजम एवं एक अन्य बनाम केरल राज्य एवं अन्य मामले में सुनाया। कोर्ट ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड और केरल देवस्वोम भर्ती बोर्ड के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें ‘तंत्र विद्यालयों’ से मिले अनुभव प्रमाण-पत्रों को पार्ट-टाइम मंदिर पुजारियों की भर्ती के लिए मान्य किया गया था। केरल के करीब 300 पारंपरिक तंत्री परिवारों की संस्था अखिल केरल तंत्री समाजम ने याचिका दायर कर इस भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी। संस्था के अध्यक्ष ईसानन नंबूदरिपाद भी याचिका में शामिल थे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आगम और तंत्रसमुच्चय जैसे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संथी की नियुक्ति धार्मिक अभ्यास का अहम हिस्सा है और इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षण मिलना चाहिए। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद अपने फैसलें में कहा,’किसी खास जाति या वंश से होने की शर्त लगाना धार्मिक अभ्यास, रीति या पूजा का जरूरी हिस्सा नहीं माना जा सकता। इस दावे के लिए न तो कोई तथ्य है और न ही कानूनी आधार।’ कोर्ट ने आगे कहा कि संविधान से पहले की कोई भी रिवाज या प्रथा, अगर मानव अधिकार, गरिमा या सामाजिक समानता के खिलाफ हो, तो उसे कानून का दर्जा नहीं मिल सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि याचिकाकर्ता वास्तव में वंशानुगत विशेषाधिकार और जाति-आधारित भर्ती को बनाए रखना चाहते हैं। कोर्ट ने पाया कि तंत्र विद्यालयों से प्रमाण-पत्र लेने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सख्त है। इसमें अंतिम चयन मेरिट के आधार पर एक समिति करती है, जिसमें विद्वान और एक नामी तंत्री भी शामिल होते हैं। कोर्ट ने 1972 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले सेशम्मल बनाम तमिलनाडु राज्य का हवाला देते हुए कहा कि पुजारी की नियुक्ति मूल रूप से एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) काम है, जो ट्रस्टी करता है। पुजारी नियुक्त होने के बाद पवित्र काम करता है, लेकिन नियुक्ति का काम धर्मनिरपेक्ष होता है।

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