रांची। सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) द्वारा आयोजित दो दिवसीय “नेशनल पीआर कॉनक्लेव–2025” का समापन संवाद, नवाचार और प्रेरणा से भरे सत्रों के साथ रांची स्थित गंगोत्री कन्वेंशन सेंटर में हुआ। इस अवसर पर डाक विभाग ने कोल इंडिया और कोल वारियर्स की विरासत को समर्पित स्पेशल कवर (कस्टमाइज्ड डाक टिकट) और स्मारिका “नवचेतना” का शुभारंभ किया।
यह डाक टिकट कोल इंडिया के स्वर्ण जयंती वर्ष पर जारी किया गया है और उन कर्मवीरों को समर्पित है जिन्होंने देश की ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त आधार दिया। इस मौके पर सीसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक निलेंदु कुमार सिंह, निदेशक (वित्त) पवन कुमार मिश्रा, निदेशक (मानव संसाधन) हर्ष नाथ मिश्र, और झारखंड के निदेशक, डाक सेवा आर. वी. चौधरी उपस्थित रहे।
सीएमडी निलेंदु कुमार सिंह ने कहा, “डाक टिकट केवल कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि यह भावनाओं का वाहक है — जो दिलों को जोड़ने का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में भी पत्र और डाक संवाद की सबसे ईमानदार विधा बने हुए हैं।
निदेशक (मानव संसाधन) हर्ष नाथ मिश्र ने कहा कि “जनसंपर्क किसी भी संस्थान की रीढ़ है, जो जनता और संगठन के बीच सेतु का कार्य करता है।”
कॉनक्लेव के दूसरे दिन कई विषयों पर विशेषज्ञों ने विचार साझा किए —
“Role of Radio: Information to Engagement especially in Rural Areas” सत्र में इनू मजूमदार (सीईओ, रेडियो ऑरेंज, नागपुर) ने बताया कि रेडियो आज भी ग्रामीण भारत को जोड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम है।
“New Age of PR in the Changing Digital World” में डॉ. समीर कपूर (डायरेक्टर, ऐड फैक्टर्स, दिल्ली) ने कहा कि आज के दौर में एंगेजमेंट और इमोशनल कनेक्ट पीआर की सफलता की कुंजी हैं।
“Career in PR & Communication” विषय पर डॉ. विकास पाथे (आईआईएम रांची) ने छात्रों को निरंतर सीखने की सलाह दी।
“Positive Media Mastery” सत्र में संजीव शेखर (अदाणी पावर लिमिटेड) ने कहा कि कंपनी की सच्ची पहचान वही है जो लोग उसकी अनुपस्थिति में कहते हैं।
समापन सत्र में एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ ने छात्रों से संवाद कर रचनात्मकता और मीडिया की नई दिशाओं पर चर्चा की।
कार्यक्रम के अंत में सीसीएल के विभागाध्यक्ष (सीसी एवं पीआर) आलोक कुमार गुप्ता ने कहा कि यह कॉनक्लेव विचारों का संगम और जनसंपर्क के भविष्य की नई दिशा तय करने वाला मंच सिद्ध हुआ है।
“नेशनल पीआर कॉनक्लेव–2025” ने यह संदेश दिया कि जनसंपर्क अब केवल सूचना तक सीमित नहीं, बल्कि सहभागिता, सहानुभूति और सतत संवाद का सशक्त माध्यम बन चुका है — जो संगठनों को समाज से जोड़ता है और विश्वास की नई परिभाषा गढ़ता है।
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